जिम जाने के फायदे
जिम में एक्सरसाइज करने से शरीर फिट और एक्टिव रहता है। मोटापा, दिल की बीमारी और मधुमेह से बचने के लिए फिजिकली एक्टिव रहने की जरूरत पड़ती है। साथ ही फिजिकल एक्टिविटी से शरीर का एनर्जी लेवल भी बढ़ता है। इतना ही नहीं फिजिकल एक्टिविटी से सेल व टिशू के मरम्मत और शरीर के अंग को तंदुरुस्त रखने में भी मदद मिलती है। अगर आप ने भी जिम जाने का मन बना लिया है तो आपको पहले ही दिन कुछ बातों का ख्याल रखना होगा। जिम में अगर पहले दिन आप खूब जोर शोर से व्यायाम कर लेगें तो आप दूसरे दिन अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाएंगे। इसलिये हम आपको कुछ सुझाव देते हैं जिसे आपको हर हाल में मानना चाहिये। जिम जाते ही पहले दिन अपने शरीर को दंड ना दें बल्कि उस दिन हल्की फुल्की एक्सरसाइज करें। साथ ही व्यायाम करने से पहले वार्मअप करना अति आवश्यक है इसलिये इस बात को बिल्कुल भी ना भूलें। जिम के पहले दिन करें इन नियमों का पालन 1. खाली पेट ना जाएं वर्कआउट के पहले खाली पेट ना रहें। कुछ ऐसा खा कर जाएं जो आसानी से हजम हो जाए। अगर आप खाली पेट जाएंगे तो व्यायाम करते वक्त आपको चक्कर आएगा। जिम के बैग में पुरुषों के लिए आवश्यक 10 वस्तुएं 2. वार्मअप हों वर्कआउट करने से पहले अगर आप वार्मअप नहीं होते हैं, तो आपके लिये इसमें खतरा हो सकता है। आपको अपने शरीर को व्यायाम करने से पहले गर्म करना होगा जिससे आपको चोट या मोंच ना लगे। वार्मअप करने से शरीर लचीला बन जाता है। 3. नो कार्डियो कार्डियो करने से पहले आपको थोड़ी बहुत स्ट्रेचिंग करनी चाहिये। जिम के पहले दिन आपको स्टेप बाई स्टेप प्रोसेस करने चाहिये। एक बार में सब कुछ कर लेने से शरीर में ताकत नहीं बचती। 4. वेट ना उठाएं पहले दिन वजन उठाने वाला व्यायाम ना करें क्योंकि इससे आपकी मासपेशियों को चोट पहुंच सकती है। इसके बावजूद ट्रेडमिल पर चलें या फिर साइकिल पर लगभग 3 हफ्ते तक वर्कआउट करें। 5. ज्यादा महनत ना करें अगर आप पहले ही दिन सारी महनत कर लेगें तो आप बुरी तरह से थक जाएंगे और आपका पूरा शरीर चूर-चूर हो जाएगा। जिम के पहले दिन अपनी एनर्जी को बड़ी चालाकी से प्रयोग करें।
आज का व्यायाम
आज का व्यायाम तैरना आता है तो इससे अच्छी एक्सरसाइज दूसरी नहीं। नहीं आता है तो मॉर्निंग वॉक के लिए किसी हरेभरे स्थान पर निकल जाएँ। ऐसा भी नहीं कर सकते हैं तो फिर योग की शरण में आ जाएँ। तैरना या पैदल चलना भी योग ही है।
► योग
( सूर्य नमस्कार आसन ) सभी आसनों का सार छिपा है सूर्य नमस्कार में। सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस योग में लगभग सभी आसनों का समावेश है। सूर्य नमस्कार साधक को सम्पूर्ण लाभ पहुँचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों में किया जाता है। इसकी भी दो स्थितियाँ होती हैं- प्रथम दाएँ पैर से और द्वितीय बाएँ पैर से। (1) पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएँ। फिर दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठाते हुए दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाए। हथेलियों के पृष्ठ भाग एक-दूसरे से चिपके रहें। फिर उन्हें उसी स्थिति में सामने की ओर लाएँ। तत्पश्चात नीचे की ओर गोल घुमाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएँ। (2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा कमर से पीछे की ओर झुकते हुए भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएँ। यह अर्धचक्रासन की स्थिति मानी गई है। (3) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएँ-बाएँ पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। इस स्थिति को पाद पश्चिमोत्तनासन या पादहस्तासन की स्थिति कहते हैं। (4) इसी स्थिति में हथेलियाँ भूमि पर टिकाकर श्वास को भरते हुए दाएँ पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को ऊपर उठाएँ। इस मुद्रा में टाँग तनी हुई सीधी पीछे की ओर और पैर का पंजा खड़ा हुआ रहना चाहिए। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। (5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए हुए बाएँ पैर को भी पीछे ले जाएँ। दोनों पैरों की एड़ियाँ परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएँ। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कंठ में लगाएँ। (6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दंडवत करें और पहले घुटने, छाती और ठोड़ी पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठाएँ। श्वास छोड़ दें। श्वास की गति सामान्य रखें। (7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएँ। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। इस स्थिति को भुजंगासन की स्थिति कहते हैं। (8) यह स्थिति पाँचवीं स्थिति के समान है। जबकि हम ठोड़ी को कंठ से टिकाते हुए पैरों के पंजों को देखते हैं। (9) यह स्थिति चौथी स्थिति के समान है। इसमें पीछे ले जाए गए दाएँ पैर को पुन: आगे ले आएँ। (10) यह स्थिति तीसरी स्थिति के समान हैं। फिर बाएँ पैर को भी आगे लाते हुए पुन: पाद पश्चिमोत्तनासन की स्थिति में आ जाएँ। (11) यह स्थिति दूसरी स्थिति के समान हैं। जिसमें पाद पश्चिमोत्तनासन खोलते हुए और श्वास भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएँ। उसी स्थिति में हाथों को पीछे की ओर ले जाएँ साथ ही गर्दन तथा कमर को भी पीछे की ओर झुकाएँ अर्थात अर्धचक्रासन की मुद्रा में आ जाएँ। (12) यह स्थिति पहली स्थिति की भाँति रहेगी। अर्थात नम:स्कार की मुद्रा। बारह मुद्राओं के बाद पुन: विश्राम की स्थिति में खड़े हो जाएँ। अब इसी आसन को पुन: करें। पहली, दूसरी और तीसरी स्थिति उसी क्रम में ही रहेगी लेकिन चौथी स्थिति में पहले जहाँ दाएँ पैर को पीछे ले गए थे वहीं अब पहले बाएँ पैर को पीछे ले जाते हुए यह सूर्य नमस्कार करें। सावधानी : कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न यह योग न करें। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पाँचवीं स्थितियाँ सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं। कोई गंभीर रोग हो तो योग चिकित्सक की सलाह से ही सूर्य नमस्कार करें।
► डाइट
डाइट सर्वप्रथम भोजन की मात्रा कम करते हुए भोजन में सलाद का इस्तेमाल ज्यादा करें। स्पाइसी व हेवी खाने की बजाय ब्रोकली, कैबिज और कई तरह के सलाद खाएँ। दो रोटी की भूख हमेशा बचा कर रखें और सिर्फ दो वक्त का भोजन ही करें बाकि समय कुछ भी न खाएँ। भोजन करने के आधा घंटे बाद ही पानी पीएँ। भोजन करने के नियम बनाएँ देर रात को भोजन ना करें।
► आयुर्वैदिक टिप्स
पानी पीएं कई लोग प्यासे, थके हुए और भूखे होने में फर्क नहीं कर पाते हैं और अंतत: सुगरयुक्त या फैटी फूड खा लेते हैं। हमेशा साथ में पानी की बोतल रखें और यह सुनिश्चित करें कि आप पूरे दिन पानी पीते रहें। एक व्यक्ति को दिन में 6 से 8 ग्लास पानी की जरूरत होती है, हालांकि यह आपके वजन और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप दिन भर में पर्याप्त पानी पीते हों।
► घरेलू उपचार
लौकी जूस लौकी जूस यह एक पौष्टिक सब्जी है। इसे पीने से पेट भर जाता है, इसमें फाइबर होता है और यह पेट को ठंडक पहुंचाती है। इसे पीने से घंटो तक पेट भरा रहता है और मोटापा भी कंट्रोल होता है।
► वजन काम करने वाले भोजन
अंकुरित अनाज अंकुरित किए जाने से अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा दुगुनी हो जाती है। चना, मूंग, सोयाबीन, मटर आदि को अंकुरित करके खाया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में नाश्ते में अंकुरित अनाज को शामिल करना स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर है। भरपूर अंकुरित अनाज का सेवन आप सूप या सलाद के साथ भी कर सकते हैं। सुलभ, सस्ता, बनाने में आसान व पौष्टिक होने के कारण अंकुरित अनाज का सेवन आपके शरीर के लिए लाभदायक होता है। विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, एंटी ऑक्सीडेंट आदि की भरपूर मात्रा होने के कारण अंकुरित अनाज हमारे भोजन के पाचन में भी सहायक होता है।
► उच्च कैलोरी भोजन
उच्च कैलोरी भोजन फ्रिज में अगर चॉकलेट्स या फैटी चीजें रखी हैं तो थोड़ा मन करें और हटाएं। घर में ऐसी चीजों को स्टोर ही न करें जिन्हें खाने से आपकी कैलोरी बढ़ सकती है। कोल्ड ड्रिंक न पिएं, क्योंकि कोल्डा ड्रिंक की 500 मिलीलीटर मात्रा में 20 चम्मच शुगर होती है जिससे मोटापा बढ़ता है।
► आज का टिप्स
तरल जूस व ड्रिंक भोजन के पूर्व या पश्चात यदि आप तरल पदार्थ लेने के आदी हैं तो इस सर्द मौसम में भी आप छाछ, लस्सी, दही व फ्रूट जूस का सेवन कर सकते हैं। दही, छाछ व ताजे फलों का रस आपके शरीर के लिए गुणकारी होता है। खट्टे फलों में नींबू का रस वजन कम करने, डेंटल केयर, बुखार, रक्त शुद्धि आदि में सहायक होता है। भोजन के बाद ली जाने वाली छाछ में दूध की अपेक्षा फैट की मात्रा कम होती है। यदि हम लिक्विड में नारियल पानी की बात करें तो इसमें पोटेशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के साथ ही शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, शर्करा व वसा की कम मात्रा होती है।
► एरोबिक व्यायाम
कैसे करें एरोबिक्स आप किसी भी समय कर सकते हैं, पर यदि सुबह के समय नियमित शेड्यूल बनाते हैं तो कई स्तर पर फायदे देखने को मिल सकते हैं। एक सप्ताह में कम से कम तीन बार एरोबिक्स एक्सरसाइज करें। दो सत्रों के बीच में दो दिन से ज्यादा का अंतर न रखें, खासतौर पर यदि वजन कम करना हो। एरोबिक्स व्यायाम की तीव्रता का स्तर न बहुत अधिक हो और न कम। इन दिनों कई नए तरीके के एरोबिक्स प्रोग्राम भी सिखाए जा रहे हैं, जिन्हें अपनी सुविधा व व्यायाम लक्ष्यों को ध्यान में रख कर कर सकते हैं। एक एक्सरसाइज सेशन कम से कम बीस मिनट का रखें। क्षमता के अनुसार धीरे-धीरे इसे बढ़ा कर साठ मिनट तक ले जा सकते हैं। शुरुआत में ऐसी क्रियाएं चुनें, जिन्हें करने में आपको मजा आता है, मसलन तैराकी या साइकिल चलाना। इन दिनों पानी में किए जाने वाले कई तरह के व्यायाम सिखाए जाते हैं। बोरियत दूर करने के लिए समय-समय पर एरोबिक्स व्यायाम के तरीके बदल सकते हैं। व्यायाम शुरू करने से पहले पांच से दस मिनट शरीर को स्ट्रेच कर लें। किसी अन्य तरह का वायरल या श्वास संबंधी संक्रमण है तो व्यायाम न करें। व्यायाम के दौरान सीने में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। एरोबिक्स के दौरान ऐसे कपड़े पहनें, जिससे त्वचा को हवा मिलती रहे और मूवमेंट में किसी तरह की परेशानी न हो।
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